रविवार, 19 जनवरी 2014

देखता रह गया.......

क्या हुआ यकबयक, देखता रह गया.
मैं उसे देर तक देखता रह गया.

उनका चेहरा उठा आसमाँ की तरफ़
चाँद भी एकटक देखता रह गया.

खुल गयी नींद, सपना न टूटे कहीं
बंद करके पलक देखता रह गया.

हो गया मैं बरी फिर भी देखो उसे
मुझपे इतना था शक, देखता रह गया.

हक जता के तू खुशियाँ चुराता रहा
जिसका था उनपे हक, देखता रह गया.

मेरा दुश्मन मिला जब मुझे प्यार से

क्या सिखाता सबक? देखता रह गया

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