tag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post4874900715663168328..comments2023-08-08T04:44:27.671-07:00Comments on दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़: अपनी अलिखित कविता के नाम Dinesh Dadhichihttp://www.blogger.com/profile/09576306239825711925noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-90182608318349965272012-12-24T05:33:28.103-08:002012-12-24T05:33:28.103-08:00अंजलि गुप्ता जी, आपकी अत्यंत सारगर्भित और सार्थक ट...अंजलि गुप्ता जी, आपकी अत्यंत सारगर्भित और सार्थक टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूँ. इस से मुझे और अधिक गंभीरता से रचना-कर्म में प्रवृत्त होने की प्रेरणा मिली है.Dinesh Dadhichihttps://www.blogger.com/profile/09576306239825711925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-86918926982264553692012-11-30T08:33:37.079-08:002012-11-30T08:33:37.079-08:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Anjali Guptahttps://www.blogger.com/profile/17776457193610584186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-29171080503821294722012-11-30T08:25:35.139-08:002012-11-30T08:25:35.139-08:00स्वच्छंद ,अमूर्त भावों को कागज़ की पथरीली ज़मीन पर...स्वच्छंद ,अमूर्त भावों को कागज़ की पथरीली ज़मीन पर मूर्त रूप देने की कवि मन की उत्सुकता एवं विवशता तथा उसी रचना के अस्तित्व पर कटु कटाक्षों के रूप में प्रश्न कि," क्यों हो तुम?"पर कवी मन की पीड़ा बिलकुल ऐसी ही है जैसे एक अजन्मी,कोमल,अनछुई बिटिया को यथार्थ की कटीली रौशनी में लाने की एक माँ की उत्सुकता एवं अपनी उसी रचना के स्वत्व पर संसार के कटु प्रश्न की," क्यों हो तुम?" पर माँ की वेदना। वास्तव में अत्यंत दुस्साध्य है उन्मुक्त विचारों को परिधि में बांधना। अत्यंत कोमल भावों को इस सौंदर्य से काव्य सौष्ठव से अलंकृत करना जितना प्रशंसनीय है उतना ही रोमांचक है एक अलिखित कविता के सम्मान में एक कविता को जन्म देना।Anjali Guptanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-47630326605579881902012-11-30T07:42:16.041-08:002012-11-30T07:42:16.041-08:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16751964362848204846noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-17778249785083388592012-11-23T00:45:13.639-08:002012-11-23T00:45:13.639-08:00धन्यवाद, 'मयंक' जी.धन्यवाद, 'मयंक' जी.Dinesh Dadhichihttps://www.blogger.com/profile/09576306239825711925noreply@blogger.com