tag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post6988009019837349973..comments2023-08-08T04:44:27.671-07:00Comments on दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़: धूप ज़रा मुझ तक आने दोDinesh Dadhichihttp://www.blogger.com/profile/09576306239825711925noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-21741159744510860582013-01-10T04:07:28.943-08:002013-01-10T04:07:28.943-08:00धरातल पर अत्यंत सरल प्रतीत होने वाले शब्दों में छु...धरातल पर अत्यंत सरल प्रतीत होने वाले शब्दों में छुपी गहनता आज के मानव की वास्तविक मानसिकता को उजागर करती है। क्या यही नहीं है आज के स्वार्थी मानव की वास्तविकता- कोई व्यक्तिगत लाभ न होने पर भी दूसरे के सुख में बाधा बनना? प्रकृति प्रदत्त संपदा पर भी मनुष्य एकाकी अधिकार चाहता है, सांसारिक सुखों का तो प्रश्न ही छोड़ो। इन्ही शिथिल भावनाओं की शीत से कांप रही है मानवता। हर व्यक्ति अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है, सत्य ही तो है, ऐसा कौन होगा जिसे शिथिल पड़े शरीर पर सौहार्दता की गर्माहट की आवश्यकता न हो। शब्दों के माध्यम से सर्दी और धूप का चित्रण इतना जीवंत एवं चित्रवत है कि स्वयं को ठिठुरन का एहसास और धूप की चाहत होने लगती है।अत्यंत सौन्दर्यपूर्ण एवं सार्थक कविता है।<br />"धूप की चादर मेरे सूरज से कहना भेज दे <br /> गुरबतों का दौर है जाड़ों की शिद्दत है बहुत।"Anjali Guptanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-2385410135677161882013-01-08T20:43:48.091-08:002013-01-08T20:43:48.091-08:00एक दिन मैं "धुप के साये" में आया और कहा ...एक दिन मैं "धुप के साये" में आया और कहा :<br />अह धुप मै सारी उम्र तेरे आँचल की गर्माहट <br />को महसूस करना चाहता हूँ <br />तोह धुप हस के खिली और मुस्करा के बोली <br />यह कैसे मुमकिन है <br />मेरा काम है सारे चमन मैं रौशनी करना।।।<br />और अब सब काँटों पे खिलती है धुप <br />चमन मैं बस "एक गुल" को छोड़ कर-- बरजिंदर सिंह रंधावा Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05422728603210396648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-53239311450461104442013-01-08T20:35:42.836-08:002013-01-08T20:35:42.836-08:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05422728603210396648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-62380517178278507152013-01-07T04:37:38.905-08:002013-01-07T04:37:38.905-08:00bahut badhiya ...title hi bha gaya ...bahut badhiya ...title hi bha gaya ...शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-39157476931291964162013-01-06T09:24:08.721-08:002013-01-06T09:24:08.721-08:00बहुत सुंदर अती उत्तम रचना...
:-)बहुत सुंदर अती उत्तम रचना...<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-24613758122226248572011-05-01T15:03:30.920-07:002011-05-01T15:03:30.920-07:00Sachmuch bahot umdaa likha hai Sir !Sachmuch bahot umdaa likha hai Sir !Manuhttps://www.blogger.com/profile/11718975362778919424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-60658237400002651372009-12-19T13:30:46.499-08:002009-12-19T13:30:46.499-08:00बहुत ही सुन्दर रचना!बहुत ही सुन्दर रचना!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-88629280012180112962009-12-19T01:02:04.506-08:002009-12-19T01:02:04.506-08:00अद्भुत कहा है ....अद्भुत कहा है ....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-59984159209935638402009-12-18T18:42:33.338-08:002009-12-18T18:42:33.338-08:00खरी बात, फ़रियाद नहीं है
क्या तुमको यह याद नहीं है...खरी बात, फ़रियाद नहीं है<br />क्या तुमको यह याद नहीं है ?<br />धूप हवा सब के साँझे हैं<br />यह कोई जायदाद नहीं है !<br /><br />किस्सा ख़त्म करो, अब मुझको--<br />भी अपना हिस्सा पाने दो ।<br /><br />धूप ज़रा मुझ तक आने दो ।<br /><br />शानदार रचनाbijnior districthttps://www.blogger.com/profile/02245457778160306799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-68260253314863609222009-12-18T09:51:15.833-08:002009-12-18T09:51:15.833-08:00पहला कमाल ब्लॉग का सौन्दर्य
दूसरा कमाल प्रकृति क...पहला कमाल ब्लॉग का सौन्दर्य<br />दूसरा कमाल प्रकृति का सौन्दर्य<br />तीसरा कमाल बर्फ़ का सौन्दर्य<br /><br />____कमालों का कमाल भाषा का सौन्दर्य<br /><br />इस विषय पर इस से बेहतर शायद कुछ नहीं हो सकता ....<br /><br />वाह !<br />वाह !<br /><br />बधाई !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-72212525551790551972009-12-18T09:49:07.873-08:002009-12-18T09:49:07.873-08:00आपके ब्लोग पर पहले आखों को सुकून मिलता है फ़िर रचना...<i>आपके ब्लोग पर पहले आखों को सुकून मिलता है फ़िर रचनाओं को पढ के मन को शांति </i>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-15256228760336857922009-12-18T09:04:00.128-08:002009-12-18T09:04:00.128-08:00बहुत ही भावपूर्ण व सुन्दर रचना है।बधाई।बहुत ही भावपूर्ण व सुन्दर रचना है।बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-54817163254331729962009-12-18T08:54:03.633-08:002009-12-18T08:54:03.633-08:00कब से आगे खड़े हुए हो
बीच में आ कर अड़े हुए हो
खूब...कब से आगे खड़े हुए हो<br />बीच में आ कर अड़े हुए हो<br />खूब समझते हो सारा कुछ<br />फिर भी चिकने घड़े हुए हो ।<br /><br />सुंदर भाव..कविता बहुत ही अच्छी लगी..बधाईविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2567516379688439834.post-4287173732179526992009-12-18T08:11:07.311-08:002009-12-18T08:11:07.311-08:00खरी बात, फ़रियाद नहीं है
क्या तुमको यह याद नहीं है...खरी बात, फ़रियाद नहीं है<br />क्या तुमको यह याद नहीं है ?<br />धूप हवा सब के साँझे हैं<br />यह कोई जायदाद नहीं है !<br /><br />किस्सा ख़त्म करो, अब मुझको--<br />भी अपना हिस्सा पाने दो ।<br /><br />धूप ज़रा मुझ तक आने दो ।<br /><br />बहुत सुन्दर सन्देश देती कविता।।<br />बधाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com