बुधवार, 30 मई 2012

सोमवार, 7 मई 2012

अंतिम यात्रा से पहले – टैगोर


गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर उन दिनों बहुत अस्वस्थ थे. अपने अंतिम जन्म-दिवस से पहले उन्होंने ६ मई १९४१ की सुबह यह कविता लिखी. इसके इकहत्तर वर्ष बाद कल ६ मई २०१२ कों यह कविता पढ़ कर मुझे इसका हिंदी में काव्यानुवाद करने की प्रेरणा हुई.

मंगलवार, 1 मई 2012

आप ही बताएं


अगर कोई स्वभाव से अनागत-विधाता न हो, उसमें प्रत्युत्पन्न-मति वाली क्षमता भी न हो, तो यद्भविष्य के रूप में जीने के अलावा वह और क्या कर सकता है? क्या कोई चौथी सम्भावना भी होती है?