बुधवार, 27 मार्च 2013

बूझो तो जानें

बचपन में जो पत्रिकाएँ या अखबार हम चाव से पढते थे, उनमें "फलों के नाम ढूंढिए" या "देशों के नाम ढूँढिये" जैसी पहेलियाँ बहुत पसंद की जाती थीं. आज पुराने कागज़ों में एक कागज़ पर स्वयं अपनी बनाई हुई ऐसी पहेलियाँ मिली हैं. आप भी इनका आनंद उठाएं और कुछ समय के लिए अपने बचपन में लौट चलें:

१. इस स्कूल में तीसरी और चौथी कक्षा की बराबर फीस लगती है (मिठाई)
२. प्यारे बेटे, चुपचाप सो; फ़ालतू बातें मत कर (फर्नीचर आइटम)
३. नाम तो उसका सुखी राम था, पर दुखी रहने की उसे आदत थी (सब्ज़ी)
४. नन्हा बालक कड़ी धूप में नंगे पाँव सड़क पर जा रहा था (सब्ज़ी)
५. मेरे बच्चो, मिठाई के सारे डिब्बे ला कर यहाँ रख दो (फूल)
६. टीचर ने बच्चों से पूछा, "तीन और पांच कितने होते हैं?" (शरीर का भाग)
७. गोली उसको लगने वाली थी, मगर दनदनाती हुई पास से निकल गयी (शरीर का भाग)
८. चाहे कोई कुछ भी करे, लाख सिर पटके, मौत से बचना नामुमकिन है (सब्ज़ी, रिश्ता, अनाज, फल)
९. उस भीषण दुर्घटना में तीन छोटे-छोटे बालक मर गये (शरीर का भाग)
१०. चाय गिरने से उसके कपड़ों पर दाग लग गये (ड्राइंग रूम आइटम)
११. जैसा स्वेटर तुम्हारे पास है, मुझे भी वैसा बुन दो (बाथ-रूम आइटम)
१२. दरवाज़े पर तो ताला लगा था, लेकिन खिड़की खुली हुई थी (पक्षी)
१३. देखते-ही-देखते दंगों की आग राजधानी के कई हिस्सों में फ़ैल गयी (नगर)
१४. मेरी सहेली चीन जा रही है (फल)
१५. जंगल में शेर से बच कर रहना (फल)
१६. साधु-संत राम-राम करते हैं (फल)