रविवार, 14 फ़रवरी 2010

गृहिणी

आज वैलेंटाइन डे है, सो यह प्रेम कविता गृहिणी के लिए, जिस के बारे में कवि अक्सर कुछ नहीं कहते. वह केवल हास्य-कविताओं में स्थान पाती है .

जादू की तरह मौजूद रहती है वह घर में
जादू से कम नहीं होते उसके कारनामे.
चीज़ों को जिद रहती है
टूटने की, फटने की,
बिखरने और गुम होने की.
और वह ऐसा होने नहीं देती.
चीज़ों की बेतुकी ज़िद के ख़िलाफ़
जम कर टक्कर लेती है .
जादू से कम नहीं उसका इस घर में होना
उसके होने के सबूत बार-बार देता है
इस छोटे-से घर का कोना-कोना !

बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

तेरी हसीं निगाह का एहसानमंद हूँ...

पहली बार एक फ़िल्मी गीत की पंक्ति आप मेरे ब्लॉग पर देख कर कुछ हैरान तो होंगे. पर बुरा ही क्या है अगर यूँ मेरी बात आप तक पहुंचे ? बात यह है कि आज मुझे आप सब के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करना है. जैसा अक्सर ऐसे अवसरों पर होता है, मुझे भावुकतावश कोई सही शब्द नहीं सूझ रहे हैं. मुझे याद है जब पहली बार एक उड़न तश्तरी मेरे ब्लॉग पर उतरी, या जब डॉ. रूप चन्द्र शास्त्री 'मयंक' के सर्व-व्यापी स्वरूप का प्रेरक साधुवाद मिला, या केवल टी वी पर देखे गए अलबेला खत्री ने मेरी पोस्ट पर टिप्पणी की, या घुघूती बासूती से रचनाओं के माध्यम से परिचय हुआ या परिचित-अपरिचित पाठकों की टिप्पणियां मिलने लगीं या जब देश-विदेश से अपनी रचनाओं पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुईं तो हर बार कृतज्ञता का यह भाव अधिकाधिक समृद्ध होता गया.

आखिर आज मैं यह सब क्यों कह रहा हूँ? आज के दिन में ऐसा क्या है ?

आप समझ तो गए होंगे, फिर भी बता देता हूँ . आज मुझे इस ब्लॉग 'बर्फ के खिलाफ' में लिखते हुए पूरा एक वर्ष हो गया है.

यही आशा है कि आपके ब्लोग्स पर नयी नयी पोस्ट्स पढने और अपने ब्लॉग पर नयी नयी पोस्ट्स लिखने का यह सिलसिला जारी रहेगा. चाहता था कि हर टिप्पणीकार और अनुसरण कर्ता का नाम दे कर आभार व्यक्त करूँ, पर विराम देते हुए उस फ़िल्मी गीत की दूसरी पंक्ति ही से काम चला रहा हूँ-- मैं खुशनसीब हूँ कि मैं तुमको पसंद हूँ !

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

शब्दों का खेल

एक फूल के आगे फल है
दोनों मिल कर बने मिठाई .
है 'गुलाब-जामुन' वह काला
गोरे रसगुल्ले का भाई .

जो फँस जाता वह 'शिकार' है,
तैरे जल के बीच 'शिकारा' .
निकले जिस से धुन 'सितार' है,
चमके नभ के बीच 'सितारा' .

क्यों हम 'हार' नहीं पहनाते
उसको, जो चुनाव में 'हारा' ?
इस गड़बड़ घोटाले में है
यह भी एक सवाल हमारा !