रविवार, 25 अप्रैल 2010
संस्कृत के मर्मज्ञ विद्वान कृपया प्रकाश डालें
हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में -- और मुझे लगता है -- अन्य भाषाओं में भी प्रायः संज्ञा व सर्वनाम के दो रूपों -- एकवचन और बहुवचन -- का प्रयोग होता है . परन्तु संस्कृत में इन के अतिरिक्त द्विवचन का भी व्याकरण में विधान है . संभवतः ऐसा आरम्भ से ही रहा होगा. स्पष्ट है कि इसका कोई विशेष कारण रहा होगा . कालान्तर में भी इस विधान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया, यद्यपि द्विवचन को हटाना व्यावहारिक दृष्टि से सुविधाजनक होता . संस्कृत के वैयाकरणों ने ऐसा नहीं किया, तो उसका क्या कारण था ? संस्कृत के मर्मज्ञ विद्वान् कृपया प्रकाश डालें. आप सब से निवेदन है कि इस विषय में अपने विचार प्रस्तुत करें .
शनिवार, 10 अप्रैल 2010
बिजली क्या है, जादू है बस
बिजली क्या है, जादू है बस .
घुप्प अँधेरे में जब आँखें
बिलकुल बेबस हो जाती हैं
सारी चीज़ें काली चादर
के अन्दर जब खो जाती हैं
बल्ब जले तो मिट जाता है
आँखों का सारा असमंजस .
पंखा फ्रिज टीवी या मिक्सी
कूलर एसी या कम्प्यूटर
चलते हैं बिजली के बूते
आज दिखाई देते घर-घर .
हरफनमौला बिजली के बिन
नहीं हो सकेंगे टस से मस .
बिजली क्या है, जादू है बस .
घुप्प अँधेरे में जब आँखें
बिलकुल बेबस हो जाती हैं
सारी चीज़ें काली चादर
के अन्दर जब खो जाती हैं
बल्ब जले तो मिट जाता है
आँखों का सारा असमंजस .
पंखा फ्रिज टीवी या मिक्सी
कूलर एसी या कम्प्यूटर
चलते हैं बिजली के बूते
आज दिखाई देते घर-घर .
हरफनमौला बिजली के बिन
नहीं हो सकेंगे टस से मस .
बिजली क्या है, जादू है बस .
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