बिजली क्या है, जादू है बस .
घुप्प अँधेरे में जब आँखें
बिलकुल बेबस हो जाती हैं
सारी चीज़ें काली चादर
के अन्दर जब खो जाती हैं
बल्ब जले तो मिट जाता है
आँखों का सारा असमंजस .
पंखा फ्रिज टीवी या मिक्सी
कूलर एसी या कम्प्यूटर
चलते हैं बिजली के बूते
आज दिखाई देते घर-घर .
हरफनमौला बिजली के बिन
नहीं हो सकेंगे टस से मस .
बिजली क्या है, जादू है बस .
5 टिप्पणियां:
बिजली की अहमियत बताती बहुत ही अच्छी बाल कविता .
इस जादू के तो सब ही दीवाने हैं!
सुन्दर कविता!
सरल....सही अभिव्यक्ति
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
Kabhi aise socha hi nahin!
Darasal bijli is taken for granted!
Good one!
Regards!
वाह क्या खूब लिखा है
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