मच्छर और टी वी में आखिर क्या समानता है?
मुझे तो यही समानता लगती है कि न तो मच्छर का कोई लाभ समझ में आता है और न ही टी वी का.
जहाँ तक मुझे याद पड़ता है, टी वी का सबसे अच्छा इस्तेमाल प्रकृति के सुकुमार कवि श्री सुमित्रानंदन पन्त ने किया है.
प्रमाण के तौर पर उनकी एक रचना से यह उद्धरण देखिये:
"संध्या का झुटपुट
बाँसों का झुरमुट
थीं चहक रही चिड़ियाँ
टी वी टी टुट टुट!"
मुझे तो यही समानता लगती है कि न तो मच्छर का कोई लाभ समझ में आता है और न ही टी वी का.
जहाँ तक मुझे याद पड़ता है, टी वी का सबसे अच्छा इस्तेमाल प्रकृति के सुकुमार कवि श्री सुमित्रानंदन पन्त ने किया है.
प्रमाण के तौर पर उनकी एक रचना से यह उद्धरण देखिये:
"संध्या का झुटपुट
बाँसों का झुरमुट
थीं चहक रही चिड़ियाँ
टी वी टी टुट टुट!"
1 टिप्पणी:
There a famous line from Groucho Marx about TV, even though he made his living from TV shows. "I find television very educating. Every time somebody turns on the set, I go into the other room and read a book."
What a pleasant surprise to see your poems on internet!
You taught me English at University College, Kurukshetra from 1992-95. You would not remember me. I was an indifferent student. But I still remember your soft-spoken but erudite way of teaching. Best of all, sometime during that period, I saw you reading your Hindi poem “Ghatnao se itar cheechen” in a little room upstairs next to the auditorium. You were an inspiration, sir.
Regards,
Yudhvir Singh
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