आज आपकी सेवा में एक मुक्तक प्रस्तुत है:
संघर्ष है, खुशियों का सामान नहीं है
माना कि मुस्कराना आसान नहीं है
महकाएगी ये तेरे मन का भी हर इक कोना --
मुस्कान तेरी हम पर एहसान नहीं है!
संघर्ष है, खुशियों का सामान नहीं है
माना कि मुस्कराना आसान नहीं है
महकाएगी ये तेरे मन का भी हर इक कोना --
मुस्कान तेरी हम पर एहसान नहीं है!
1 टिप्पणी:
मुस्कान तेरी हम पर एहसान नहीं है।
Wah! Sir
Regards! Digvijay
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