बर्फ़ के ख़िलाफ़ क्या किया जाए ?
पत्थर बन चुकी बर्फ़ के ख़िलाफ़ क्या किया जाए ?
या तो ऐसा करें
कि उसके ठोस रपटीले सीने पर बीचोंबीच
मज़बूती से नोकदार सुआ रख कर
प्रहार करें
करते चले जायें
जिससे वह टूटे, कमज़ोर हो
इससे चाहे जितना भी शोर हो।
या फिर ऐसा कर सकते हैं
चुपके से बर्फ़ के माहौल में
थोड़ी सी आंच भर सकते हैं
यूँ उसके महातुष्ट रपटीले सीने पर
ऊष्मा के स्पर्श भरा हाथ धर सकते हैं
ऐसा कर देने से
पथरायापन खो कर
पानी-पानी हो कर
बदलेगी बर्फ़
पत्थर बन चुकी बर्फ़ के ख़िलाफ़
कौन-सा तरीका अपनाएं ?
बर्फ़ को तोड़ें या पिघलाएं ?
6 टिप्पणियां:
great sir, read this poem again after a long time...maja aa gaya. keep writing here.
regards
Great going! Keep writing...we really need some good hindi poetry online!
waiting for more... :)
ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है। उम्मीद है आपकी रचनाएँ नियमित रूप से पढ़ने को मिलती रहेंगी।
सुआ काँप रहा था
और हथौडी उठी नहीं.
बर्फ की सीना पिघला नहीं
और हाथ भी बेकार हुआ.
शोर की परवाह
शायद करनी नहीं थी.
beautiful poem and a beautiful response by Why do you Persist?
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