सोमवार, 23 फ़रवरी 2009

विज्ञापन-संदेश

खाना पैकेट-बंद चिप्स तुम, सीधे आलू कभी चखना
बाइक से उतरे, तो पैदल चलने पर टूटेगा टखना।
इंसानों को जूतों, कपड़ों, त्वचा, केश से सदा परखना।
दृष्टिकोण चाहे जैसा हो, ब्रश का कोण ठीक ही रखना।

7 टिप्‍पणियां:

अजित वडनेरकर ने कहा…

स्वागत है आपका ...

ज्योत्स्ना पाण्डेय ने कहा…

चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है ...लेखन के लिए हार्दिक मंगल कामनाएं ..........

हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ...

Sanjay Grover ने कहा…

इंसानों को जूतों, कपड़ों, त्वचा, केश से सदा परखना।
दृष्टिकोण चाहे जैसा हो, ब्रश का कोण ठीक ही रखना।

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

very good janab, narayan narayan

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

very good janab, narayan narayan

Unknown ने कहा…

very nice n realistic poem....its really happening these days...