आज नहीं आयी, आयेगी कल बारिश ।
इसी तरह हर रोज़ कर रही छल बारिश ।
विरही को तो यह तड़पाती है लेकिन -
हलवाहे की मुश्किल का है हल बारिश ।
बादल आँधी हवा सभी यूँ तो आये
तरसाती ही रही हमें केवल बारिश ।
देख, पपीहे, दीन वचन मत बोल यहाँ
ऐसे नहीं किया करते बादल बारिश ।
नहीं सिर्फ़ तन-मन में ठंडी आग बनी
चूल्हे कई जलायेगी शीतल बारिश ।
लोग कर रहे हैं कुदरत का चीर-हरण
हरियाली लाती जंगल-जंगल बारिश ।
अस्त हो रहा सूरज भी मुस्काएगा
लहराएगी सतरंगा आँचल बारिश ।
4 टिप्पणियां:
khubasoorat post hai .......sath hi aapake bhawo ka jo prawah hai ....mano himaalay se ganga nikal rahi ho.
दिनेशजी हमारे यहाँ तो आज बारिश आ रही है मगर आपकी गज़ल बहुत खूबसूरत है बरसात के आने से पहले की आहट आभार्
nice gazal dinesh ji
Thanks for appreciative comments.
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