मंगलवार, 16 जून 2009

आज नहीं आयी

आज नहीं आयी, आयेगी कल बारिश ।
इसी तरह हर रोज़ कर रही छल बारिश ।

विरही को तो यह तड़पाती है लेकिन -
हलवाहे की मुश्किल का है हल बारिश ।

बादल आँधी हवा सभी यूँ तो आये
तरसाती ही रही हमें केवल बारिश ।

देख, पपीहे, दीन वचन मत बोल यहाँ
ऐसे नहीं किया करते बादल बारिश ।

नहीं सिर्फ़ तन-मन में ठंडी आग बनी
चूल्हे कई जलायेगी शीतल बारिश ।

लोग कर रहे हैं कुदरत का चीर-हरण
हरियाली लाती जंगल-जंगल बारिश ।

अस्त हो रहा सूरज भी मुस्काएगा
लहराएगी सतरंगा आँचल बारिश ।

4 टिप्‍पणियां:

ओम आर्य ने कहा…

khubasoorat post hai .......sath hi aapake bhawo ka jo prawah hai ....mano himaalay se ganga nikal rahi ho.

निर्मला कपिला ने कहा…

दिनेशजी हमारे यहाँ तो आज बारिश आ रही है मगर आपकी गज़ल बहुत खूबसूरत है बरसात के आने से पहले की आहट आभार्

vipin-choudhary ने कहा…

nice gazal dinesh ji

Dinesh Dadhichi ने कहा…

Thanks for appreciative comments.