गुरुवार, 21 मई 2009

तौलिया बोला

एक झकाझक साफ़-सुथरा तौलिया
शोरूम से निकला
और बाथरूम में नहीं पहुँचा ।
बल्कि वह यकबयक ऐसी हालत में
देखा गया कि पानी-पानी हो गया ।
ऐसा लगा मानो ख़ुद को ढकने के लिए
कोई तौलिया ढूँढ रहा हो।
हुआ यूँ कि टी वी के बीसियों कैमरों की
चुँधियाती रोशनियाँ उस पर पड़ रहीं थीं
और उसे किसी भ्रष्टाचारी के संग
अदालत में ले जाया जा रहा था।

तौलिया बोला -- "सभी के काम आता हूँ।
ढापता हूँ, पोंछता हूँ, मैं सुखाता हूँ।
सोचने का काम तो इंसान करता है।
सोचना उसका मुझे हैरान करता है।
इतनी हलचल हडबडाहट किसलिए आख़िर ?
कैमरों की चौंधियाहट किसलिए आख़िर ?
मैं भी हूँ पतलून कोई, कोट, शर्ट, कमीज़ ?
देखिये, कुछ सोचिये, मैं तौलिया नाचीज़ ।
यूँ अदालत में न लेकर जाइए मुझको।
कम-से-कम कुछ काम तो बतलाइये मुझको।
कौन-सा मुझको करिश्मा कर दिखाना है ?
फ़ैसला कीजे, मुझे किस काम आना है ?
ढाँप कर चेहरे कभी थकता नहीं हूँ मैं।
कारनामे पोंछ, पर, सकता नहीं हूँ मैं !"

मंगलवार, 12 मई 2009

शिकायत

हम भी कुछ अनजान नहीं हैं ।

"कितना भी समझा लो, लेकिन
बच्चे सुनते नहीं किसी की"--
यही शिकायत होती है ना
हम सब के पापा-मम्मी की ?

खुद कब सुनते हैं, बोलो,
क्या हम उनकी संतान नहीं हैं ?

पढने लिखने की तो हम को
देते हैं दिन-रात हिदायत ।
अगर कभी हम टी वी देखें
तो होती हैंखूब शिकायत ।

कुछ तो सोचो, भला हमारी
आँख नहीं हैं, कान नहीं हैं ?

हम भी कुछ अनजान नहीं हैं !




सोमवार, 11 मई 2009

बाज़ार प्यास का

तपिश बढ़ गयी, गर्मी के दिन आने वाले
कमर कस रहे शीतल पेय बनाने वाले ।
है बाज़ार प्यास का और मुनाफ़ा भारी ।
होड़ लगी, भिड़ने की है पूरी तैयारी ।
ऐसे में "पानी-पानी" करते अज्ञानी ।
इस नादानी पर होते हम पानी-पानी !

गुरुवार, 7 मई 2009

दो हज़ार पंद्रह

सन् दो हज़ार पंद्रह में जब भारत की धरती पर
प्रभु ने दर्शन दिये किसी को पूजा से खुश हो कर,
बोले-- "जो भी कार चाहिए, तुम बस 'ब्रैंड' बताओ
लेकिन पहले मुझको कोई ख़ाली सड़क दिखाओ !"

सोमवार, 4 मई 2009

परिणाम

"बेटे, अब की बार परीक्षा में तू फिर से फ़ेल हो गया !"
"पापा, यह तो दो फेलों का एक अनोखा मेल हो गया ।
इधर दुखी था मैं विज्ञान गणित इंग्लिश के मारे,
उधर आप भी लोक सभा के इस चुनाव में हारे ।"

शुक्रवार, 1 मई 2009

मई दिवस

पहली मई कामगारों का दिन है ।
मज़दूरों के अधिकारों का दिन है ।
तुलसी लछमी कमला घर पर रहतीं
पुरुष कहें ये खाली दिन भर रहतीं।
मन में पीड़ा चिंता उधेड़बुन है
फिर भी अनथक काम करें यह धुन है ।
पूर्वाग्रह यह टस से मस कब होगा ?
महिलाओं का 'मई दिवस' कब होगा ?