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रविवार, 29 अगस्त 2010
एक दृश्य एक एहसास: तादात्म्य
साँस लेता हुआ-सा वातावरण अनजाने, अनदेखे, निःस्वर मेरी साँसों में घुल-मिल कर होता एकाकार ? अथवा मैं ही धीरे-धीरे मिट-मिट कर इस दृश्य-फलक पर बनता जाता हूँ संसार ?
1 टिप्पणी:
वाह..!
बहुत सुन्दर रचना!
बेमिसाल!
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