Wendy Barker
Eve Remembers
It was his bending to the path I noticed.
A deliberate dip, a sweep of his long arm.
Blind, we couldn’t know what lay ahead.
He said he was picking up twigs, branches,
trying to clear the path. He didn’t want
anyone who had to follow us to fall.
काव्यानुवाद
वेंडी बार्कर
याद है हव्वा को
मैंने तो बस उसका झुकना भर
देखा पथ पर
देखा—वह कुछ सोच-समझ कर झुका
और फैलायी लंबी बाँह.
दृष्टिहीन हम नहीं जान पाए
आगे की राह.
उसने कहा --- हटा देता हूँ
टूटी हुई टहनियाँ / पथ
काँटों से घिर जाए ना.
कहीं हमारे पीछे आने वाला
गिर जाए ना !
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर काव्यानुवाद है!
bahut khoob
एक टिप्पणी भेजें