सोमवार, 29 जुलाई 2013

आज नहीं आयी ......

आज नहीं आयी, आएगी कल बारिश
इसी तरह हर रोज़ कर रही छल बारिश.

विरही को तो यह तड़पाती है लेकिन
हलवाहे की मुश्किल का है हल बारिश.

बादल आँधी हवा सभी यूँ तो आये
तरसाती ही रही हमें केवल बारिश.

देख, पपीहे, दीन वचन मत बोल यहाँ
ऐसे नहीं किया करते बादल बारिश.

नहीं सिर्फ़ तन-मन में ठंडी आग बनी
चूल्हे कई जलाएगी शीतल बारिश.

घबराये मन को इक ठंडक-सी दे कर
तन में आग जगायेगी शीतल बारिश.

लोग कर रहे हैं कुदरत का चीर-हरण
हरियाली लाती जंगल-जंगल बारिश.

अस्त हो रहा सूरज भी मुस्काएगा
लहराएगी सतरंगा आँचल बारिश.



शनिवार, 27 जुलाई 2013

सावन का इतना ही ....

सावन का इतना ही किस्सा है बस
थोड़ी-सी बारिश है, ज़्यादा उमस.

धरती की आस-प्यास देख ज़रा देख
जम के बरसियो तू अब के बरस.

हम हैं फरियादी और वो संगदिल
दोनों ही होंगे नहीं टस से मस.

अब के सावन-भादों यूँ गुज़रे ज्यूँ
रस बिन बरस में महीने हों दस.  

गुरुवार, 18 जुलाई 2013

श्रेय में हिस्सेदारी

आखिरकार सुबह हुई, तो वाटिका में फूल खिल उठे; परिंदे चहचहाने लगे.

बहुत कृपा हुई मुर्गे की, जिसने बांग दी थी.

और सूर्य देवता?

हाँ, उन्हें भी धन्यवाद है!

बुधवार, 17 जुलाई 2013

मन की बात

मन की बात छिपाने को तू चाहे जो कह जा
नदी बना कर शब्दों की तू खुद उसमें बह जा
अर्थ समझने वाले केवल शब्द नहीं सुनते हैं
देख लिया करते हैं चेहरा, हाव-भाव, लहजा !

मंगलवार, 9 जुलाई 2013

जिन लोगों ने चाहा था .....

जिन लोगों ने चाहा था इज्ज़त की रोटी-दाल मिले,
ऊंचे महलों के तहखानों में उनके कंकाल मिले.

काँधे पर कोई शव ले कर हम चुपचाप चले जब भी,
लाख सवाल पूछते हमसे बातूनी बेताल मिले.

भूखे पेट लौटने पर भोजन की थाली मिल जाती,
नहीं चाहते हमें द्वार पर सजा आरती थाल मिले.

माँ, अब तुझे बेच खाने से नहीं गुरेज़ करेंगे लोग,
कोई और ज़माना था जब लाल, बाल और पाल मिले.

रोने से क्या अन्धकार में किरण तुम्हें मिल जाएगी?
ऐसा जतन करो, हाथों में जगमग एक मशाल मिले.

डर कर क्या तुम अंधियारे के खंजर से बच पाओगे?
मिल कर साहस करो तो लड़ने को सूरज की ढाल मिले.

बुधवार, 3 जुलाई 2013

हम नहीं सुधरेंगे.....

आज सुबह सैर के लिए निकला, तो यूनिवर्सिटी के एक लॉन में बिखरे हुए disposable glasses को देख कर मैं सोच में पड़ गया. आप कहेंगे कि ऐसा तो अक्सर होता है. पर इस स्थिति में कई बातें ऐसी हैं जो मन को दुखी करती हैं:

1. लॉन में इन बिखरे disposable glasses के बिलकुल पास dust bin रक्खा हुआ था.
2. ज़ाहिर है कि यह चिंताजनक लापरवाही दिखाने वाले यूनिवर्सिटी स्तर के शिक्षित लोग थे.
3. उनके लिए व्यक्तिगत रूप से glasses को dust bin में डालना बहुत आसान था.
4. उन सब में से किसी एक ने भी कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया. 
5. सुबह सैर करते हुए ऐसा दृश्य देखने वाले सब लोगों की आँख में यह खटका ज़रूर होगा.

और आखिर में एक और बात:

6. Garbage disposal इक्कीसवीं सदी की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक होने वाली है. तैयार रहें!

Q. E. D.

After his eloquent analysis of "The Solitary Reaper", the teacher cast a glance at the visibly impressed students. He urged them to give their comments and observations and ask questions. One student stood up and said: "Sir, I think Wordsworth DID NOT like the reaper's song!" 

The teacher asked in consternation: "But what makes you think so?" 

The boy then presented the 'clinching' textual evidence in support of his 'theory':
"Look at this line, Sir. 'The music in my heart I BORE'!" And looked at everyone in the class with that Quod-Erat-Demonstrandum look!