आज नहीं आयी, आएगी कल बारिश
इसी
तरह हर रोज़ कर रही छल बारिश.
विरही को तो यह तड़पाती है लेकिन
हलवाहे
की मुश्किल का है हल बारिश.
बादल आँधी हवा सभी यूँ तो आये
तरसाती
ही रही हमें केवल बारिश.
देख, पपीहे, दीन वचन मत बोल यहाँ
ऐसे
नहीं किया करते बादल बारिश.
नहीं सिर्फ़ तन-मन में ठंडी आग बनी
चूल्हे
कई जलाएगी शीतल बारिश.
घबराये मन को इक ठंडक-सी दे कर
तन
में आग जगायेगी शीतल बारिश.
लोग कर रहे हैं कुदरत का चीर-हरण
हरियाली
लाती जंगल-जंगल बारिश.
अस्त हो रहा सूरज भी मुस्काएगा
लहराएगी
सतरंगा आँचल बारिश.
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