शनिवार, 27 जुलाई 2013

सावन का इतना ही ....

सावन का इतना ही किस्सा है बस
थोड़ी-सी बारिश है, ज़्यादा उमस.

धरती की आस-प्यास देख ज़रा देख
जम के बरसियो तू अब के बरस.

हम हैं फरियादी और वो संगदिल
दोनों ही होंगे नहीं टस से मस.

अब के सावन-भादों यूँ गुज़रे ज्यूँ
रस बिन बरस में महीने हों दस.  

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