शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

ग्रीटिंग कार्ड

तुम्हें कैसे ग्रीटिंग कार्ड पसंद हैं ?

दुकान में जाता हूँ, तो कितने ही रंगों का
ठहरा हुआ समंदर
फैला होता है काउंटर पर ।
दुकानदार कहता है -"कोई भी चुन लीजिये, साहब,
हमारे पास हर तरह के कार्ड हैं ।
इन कार्डों पर हँसाने-गुदगुदाने वाले कार्टून हैं ।
उन पर उतरे हुए शिमला, मसूरी, देहरादून हैं ।
कुछ पर नावें, चिड़ियाँ, फूल,
साँझ का उदास वातावरण है ।
कुछ में जंगल, बादल व निर्झर की कल-कल का चित्रण है ।
कई मिलन-दृश्य हैं प्रेमी-युगलों के सिलुएट में
कोलाज या क्यूबिक आर्ट के कार्ड हैं इस पैकेट में ।
इन कार्डों पर हँसते-मुस्काते नन्हे-मुन्नों के चित्र हैं ।
उन को पा कर खुश होंगे, अविवाहित जो मित्र हैं !
ये पेंटिंग्स बनाई हैं बच्चों ने
अपने नाज़ुक हाथों से...."
परेशान-सा हूँ मैं दुकानदार की बातों से ।
सोचता हूँ, तुम्हें कैसे ग्रीटिंग कार्ड पसंद हैं ?

क्या तुम्हें भी ऐसे ग्रीटिंग कार्ड पसंद हैं
जो वर्ष में तीन-चार गिने-चुने अवसरों के
कृत्रिम औचित्य के दायरे में बंद हैं ?
दुकानदार से नहीं कहता हूँ
फिर भी मैं सोचता रहता हूँ--
कोई ऐसा ग्रीटिंग कार्ड हो
जो उत्सवों पर नहीं,
अकेलेपन या उदासी के बेरौनक अवसरों पर
लम्बी यात्राएँ कर
तुम तक ख़ुद जा पहुँचे ।
साक्षी हो जाए जो मेरे अपनेपन का
अन्तरंग साथी हो मन के सूनेपन का
ऐसा ग्रीटिंग कार्ड जिसमें
सौहार्द का स्पर्श, आत्मीयता की गंध हो
दिखावट से मुक्त जो
स्वतंत्र-स्वच्छंद हो
ऐसा ग्रीटिंग कार्ड जो तुम्हें सचमुच पसंद हो !

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर रचना..

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

सादर

-समीर लाल 'समीर'

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
युग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

Rajeysha ने कहा…

मुझे मालूम है
मुझे जब भी तुम पर प्‍यार आयेगा

तो मैं ग्रीटिंग कार्ड नहीं भेजूंगा

खुद ही पहुंच जाउंगा तुम तक

अपने सारे उन्‍मादों के साथ
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पता नहीं ये लाईन्‍स कि‍सकी हैं पर याद आईं।