बाज़ारों में चमक-दमक है ।
जिधर देखिये बस रौनक है ।
नए-नए चैनल टी वी पर
हर पल रहे बदल टी वी पर ।
हर दफ्तर में मेज़ के ऊपर
रक्खा रहता है कम्प्यूटर ।
पहले तो होती थी फाइल
हाथों में अब है मोबाइल ।
बिजली की तारें ज़्यादा हैं ।
सड़कों पर कारें ज़्यादा हैं ।
पीं पीं पीं पीं पों पों पों है ।
हर कोई जल्दी में क्यों है ?
2 टिप्पणियां:
बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, पर प्रश्न प्रश्न ही रह जाता है और उत्तर मिल भी जाए तो अर्थहीन लगता है। कविता सुन्दर बन पड़ी है।
सुन्दर रचना!
बधाई!
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