मंगलवार, 14 जुलाई 2009

सोचो

सोचो, सही-ग़लत को ले कर

नोक कलम की पैनी क्यों है ?

बाज़ अगर है बेकुसूर, तो

चिड़ियों में बेचैनी क्यों है ?

4 टिप्‍पणियां:

शारदा अरोरा ने कहा…

ये चार पंक्तियाँ गागर में सागर के समान बहुत कुछ कह गईं हैं |

ओम आर्य ने कहा…

sabse pahale aapaka blog bahut hi sundar hai ........chaar panktiyo me jo bate kahi hai ....wah bahut hi gahare utare.....dhanyaawaad

Udan Tashtari ने कहा…

गजब भाई जी!! बहुत उम्दा पंक्तियाँ.

M VERMA ने कहा…

बाज़ अगर है बेकुसूर, तो

चिड़ियों में बेचैनी क्यों है ?
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आपकी निगाह इतनी पैनी क्यो है ?
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बहुत सुन्दर