बुधवार, 29 जुलाई 2009
ऐसा क्यों होता है कि.....
जब कोई अंग्रेजी लिखने या बोलने में ग़लती करता है, तो इसमें उसका दोष समझा जाता है, लेकिन जब कोई हिन्दी लिखने या बोलने में ग़लती करता है, तो इसमें दोष उस व्यक्ति का नहीं, बल्कि हिन्दी का समझा जाता है ! अंग्रेजी लहजे में ग़लत हिन्दी बोलने से आपका सामाजिक स्तर ऊँचा समझे जाने की सम्भावना ज़्यादा है, लेकिन जैसे ही आप अंग्रेज़ी को हिन्दी लहजे में बोलने की ग़लती करेंगे, आपका सामाजिक स्तर तुरन्त गिर जायेगा । वैसे सबसे अच्छा तो यही होगा कि आप हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों को ही बोलने में गलतियाँ करें। इस से आपको किसी टी वी चैनल पर काम मिलने की पूरी सम्भावना है। लिखने में गलतियाँ होती हों, तो अख़बार के लिए संवाद दाता का काम आप को आसानी से मिल जाएगा ।
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5 टिप्पणियां:
सत्य वचन। ऐसा क्यों है? मैं हिन्दी वर्तनी सही लिखने को कहता हूँ तो लोग पुरातनपंथी कहते हैं। जब अंग्रेजी बोलते समय भोजपूरी स्पर्श आ जाता है तो लोग घूरने लगते हैं।
दिल्ली में एक बार Portugal को 'पोर्तुगल' के बजाय पुर्तगाल पढ़ दिया था। सामने बैठी कन्या हँसते हँसते लोट पोट हो गई थी। तब से दिल्ली में जब तक रहा या अब जब भी जाता हूँ, अंग्रेजी बोलने से परहेज कर रहा हूँ।
Sir,
The real cause of the phenomenon described by u is the colonial mentality we have been unable to shed.
Because we have a norm(of the master) in mind, all deviations from this norm r considered sinful. We must maintain the 'purity' of the language of the 'master'
This is not the case with hindi. Because it is our own language, we can afford to violate its sanctity. Ghar ki murgi daal baraabar
ekdum sateek....yeh un sabhi hindustaaniyon par vyangya hai jo valentines' day, mother's day, aur father's day manaana kadaapi nahi bhoolenge kintu hindi divas kaunsi taareekh ko padta hai iss baat se anjaan honge!
"dukhti rag pakad li apke vyangya ne sir". Apni bhasha ko sanjone ki khatir Hindi classes shuru karne ko muje 20 students nahi mile 4 mahine ki mahnat k baad....I m so disappointed n saddened that our Indians don't want to learn hindi because it doesnt help them in getting any career or citizenship status in an English speaking nation.....
It's a shameful act that I'm writing in English to favour Hindi but i really don't know how to type Hindi fonts...so with sincere apologies here i go...
Even I feel sad about the fact that instead of promoting our own language we consider English as a status symbol.I have seen many Americans and Chinese learning Hindi these days and a few reasons they put forward are : skyrocketing growth of Indian economy and Indian culture.its ironical to see that Hindi is gaining currency among aliens but is being ignored deliberately in its own land...
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