शनिवार, 11 अप्रैल 2009

विष्णु जी के लिए...

कलाकार के संघर्षों के साक्षी, तुमने -
अमर मसीहा आवारा की कथा कही है।
गहन विचारों के शिल्पी अप्रतिम अनूठे,
नहीं रहे तुम; 'धरती अब भी घूम रही है' !

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