अपना अगला जन्म-दिवस मैं
कुछ इस तरह मनाऊंगा
घर के आँगन के कोने में
कोई पेड़ लगाऊंगा ।
घर में जो बाई आती है
उसके घर जाऊंगा मैं
खूब मिठाई उसके बच्चों
को दे कर आऊंगा मैं ।
रंगों का डिब्बा भी दूँगा
कापी, पेंसिल, पेन, किताब ।
मेरे अगले जन्म-दिवस की
ऐसी है योजना, जनाब !
3 टिप्पणियां:
जन्म दिन का काहे इन्तजार-जिस दिन यह सब कर गुजरें उसी दिन नया जन्म हुआ समझिये!!
शुभकामनाऐं.
दो सवाल:
पहला: उड़न तश्तरी ने जो कहा, वही क्यों न किया जाये?
दूसरा: बर्फ से इतनी खिलाफत क्यों?
सटीक और सार्थक टिप्पणियों के लिए आभारी हूँ. अभिप्राय वही है जो आप ने फ़रमाया. बाल-कविता में उपदेश की झलक न लगे-- इस लिए जन्म-दिवस को बात कहने का अवसर बनाया है. बर्फ़ को कृपया प्रतीक के रूप में लें . इसके अभिधात्मक अर्थ में नहीं. इसलिए पहली कविता इसी विषय में दी है. एक बार फिर आप की सहृदयता के लिए धन्यवाद u
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