रविवार, 22 मार्च 2009

मार्च-अप्रैल की मुकरियां

१.
मार्च में आये, खूब सताये
शाम ढले वह राग सुनाये
रात चिकोटी काटे डट कर

क्यों सखि, साजन ? ना सखि, मच्छर !
२.
फिर उसको लाया अप्रैल
अबके और गया है फैल
बच्चों के तन-मन को कसता

क्यों सखि, साजन ? ना सखि, बस्ता !

3 टिप्‍पणियां:

अमिताभ मीत ने कहा…

सही है.

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Dinesh Dadhichi ने कहा…

शुक्रिया!